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वक्फ संशोधन विधेयक बना कानून, संसद के बाद राष्ट्रपति मुर्मू की भी मंजूरी

संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक को अब  राष्ट्रपति मुर्मू की भी मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक अब कानून बन गया है। केंद्र सरकार ने इस बाबत अधिसूचना भी जारी कर दी है। अब जबकि यह विधेयक कानून बन गया है तो इसका व्यापक असर होगा। खासतौर से एएसआई संरक्षित स्मारकों पर वक्फ का दावा एक झटके में खत्म हो जाएगा।

संसद के दोनों सदनों में मैराथन चर्चा के बाद यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एंपावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट विधेयक (उम्मीद) 2025 राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून बन गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस विधेयक को शनिवार देर रात अपनी मंजूरी दे दी। इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद सरकार ने अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित कर दिया।  इस विधेयक को लोकसभा ने 3 अप्रैल और राज्यसभा ने चार अप्रैल को पारित किया था। इस कानून में कई नए प्रावधान जोड़े गए हैं। इस कानून में कई प्रावधानों में संशोधन किया गया है। इसके तहत वक्फ बोर्ड अब किसी भी संपत्ति पर मनमाने तरीके से दावा नहीं कर सकता है। विवाद की स्थिति में अदालत में भी चुनौती दी जा सकती है और पांच साल तक इस्लाम का पालन करने वाला ही वक्फ को संपत्ति दान कर सकता है। इसके साथ ही मुसलमान वक्फ (निरसन) बिल 2024 को भी राष्ट्रपति मुर्मू ने मंजूरी दे दी है।

लोकसभा में रात 1.56 बजे तो राज्यसभा में  2:30 के बाद  ऐसे पारित हुआ संशोधन बिल
वक्फ संशोधन विधेयक-यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एम्पावरमेंट एफिशिएंसी एंड डवलपमेंट (उम्मीद) पर 13 घंटे  की लंबी चर्चा के बाद बृहस्पतिवार देर रात 2:30 के बाद राज्यसभा ने अपनी मुहर लगाई थी।  राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पर फैसला ध्वनि मत से नहीं, बल्कि मत-विभाजन से किया गया था। वोटिंग के दौरान वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के पक्ष में 128 सांसदों और 95 सांसदों ने विपक्ष में मतदान किया था। लोकसभा की तरह उच्च सदन ने भी विपक्ष के सभी संशोधन प्रस्ताव ध्वनिमत से खारिज हुए। उससे पहले, लोकसभा ने बुधवार रात करीब 1.56 बजे वक्फ संशोधन विधेयक बहुमत से पारित कर दिया था। विधेयक के पक्ष में 288, जबकि विरोध में 232 मत पड़े। विधेयक पर लोकसभा में 12 घंटे से अधिक समय तक चर्चा हुई थी।  

शामिल हैं ये प्रावधान
बता दें कि संसद के दोनों सदनों में बहुमत के अभाव में भाजपा को अपने सहयोगियों की कुछ मांगों को स्वीकार करना पड़ा था। जेपीसी में इसमें कई बदलाव किए गए।  इनमें विधेयक के कानून बनने की अधिसूचना जारी होने के पहले मस्जिद एवं अन्य धार्मिक स्मारकों, चिन्हों पर पूर्व की स्थिति बहाल रखने, जमीन संबंधी विवाद के निपटारे के लिए राज्य सरकार को जिला मजिस्ट्रेट के इतर अधिकारी नियुक्त करने जैसे प्रावधान शामिल हैं। आदिवासियों के हित संरक्षण के संदर्भ में सरकार ने संविधान की 5वीं और 6ठी अनुसूची का हवाला देते हुए आदिवासी इलाकों में वक्फ संपत्ति घोषित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका अर्थ है कि करीब-करीब पूरा पूर्वोत्तर, समूचे झारखंड और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, गुजरात सहित देश के कई राज्यों के आदिवासी इलाकों की जमीन और संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकेगा। 

गैर मुस्लिम सदस्य हो सकेंगे शामिल

  •  नए संशोधनों के अनुसार, वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति होगी। इस्लाम धर्म के एक विशेषज्ञ का बोर्ड का सदस्य होना जरूरी है।
  •  वक्फ बोर्ड और परिषद में दो महिला सदस्यों की नियुक्ति जरूरी। किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले सत्यापन अति आवश्यक।
  •  जिला कलेक्टर वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण करेगा, स्वामित्व सुनिश्चित करेगा।
  •  निर्णय लेने में गैर मुस्लिम, अन्य मुस्लिम, पसमांदा मुस्लिम , पिछड़े मुस्लिम और महिलाओं को भी शामिल किया जाएगा।

पांच साल इस्लाम का पालन तभी कर सकेंगे संपत्ति का दान
बोर्ड को संपत्ति दान करने वाला इस्लाम धर्म का अनुयायी होना चाहिए। वह कम से कम पांच साल से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो।
 

    कोई सरकारी संपत्ति अब वक्फ की नहीं
    किसी भी सरकारी संपत्ति को अब वक्फ की संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता। इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा।

    महिलाओं को भी संपत्ति का अधिकार
    परिवार वक्फ जिसे वक्फ-अल-औलाद कहा जाता है, उसमें अब मुस्लिम महिलाओं को भी संपत्ति का अधिकार मिलेगा। महिलाओं को भी अपनी पैतृक व ससुराल की संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार मिलेगा। विधवा, तलाकशुदा और अनाथ महिलाओं को अपनी पारिवारिक संपत्ति में हक मिलेगा।

    सत्यापन सही हुआ तो संपत्ति वक्फ की ही

    •  जो भी संपत्ति में वैध रूप से वक्फ की हैं, सत्यापन सही निकला, तो वह वक्फ की ही रहेगी। बशर्तें की उनकी पहचान विवादित या सरकारी संपत्ति के रूप में न कर ली जाए।
    •  वक्फ संपत्तियों पर परिसीमा अधिनियम 1963 अब लागू कर दिया जाएगा। इससे लंबे समय तक चलने वाले अदालती मामले कम जाएंगे।
    •  पूरे गांव को वक्फ संपत्ति घोषित करना, मनमाने तरीके से किसी भी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति कह कर दावा ठोकने मात्र से संपत्ति वक्फ बोर्ड की नहीं हो सकती।
    •  जिन वक्फ संस्थाओं की आमदनी एक लाख रुपये सालाना से ज्यादा है, उनको अपना वार्षिक ऑडिट करवाना होगा।
    •  मुतवल्लियों को 6 महीने में केंद्रीय वक्फ पोर्टल पर अपनी संपत्ति का विवरण देना होगा। मुसलमानों ने जो भी ट्रस्ट बनाए हैं, देश के किसी भी कानून के तहत वक्फ की संपत्ति नहीं माने जाएंगे।  

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