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झारखंड में फिर सामने आई अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत, नए खुलासे से 11 विभागों में मचा हड़कंप

रांची। प्रदेश में एक बार फिर ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत के एक बड़े मामले का खुलासा हुआ है। महालेखाकार की रिपोर्टों में इस तरह की बातें पहले भी आई हैं लेकिन इस बार खुलासा तकनीकी तौर पर बिलकुल नया है।

झारखंड में एक-दो नहीं, लगभग एक दर्जन विभाग में एक ही तरीके से ठेके लूटे जाने से संबंधित खुलासे हुए हैं। महालेखाकार कार्यालय ने इन विभागों की संदिग्ध गतिविधियों पर सवाल उठाया है और संबंधित अधिकारियों से जवाब भी मांगा है।

जिन विभागों से बड़े टेंडर जारी हुए हैं और इसके लिए जिस कंप्यूटर का इस्तेमाल शर्तों के निर्धारण के लिए किया गया है, उसी कंप्यूटर के इस्तेमाल से कुछ सफल बिडर्स ने अपने फार्म भरे हैं और सफल भी हुए हैं। कुल मिलाकर इस प्रकार से ठेके हासिल करने के साथ-साथ ठेके लूट लिए जाने के आरोप भी सामने आए।

महालेखाकार की जांच में भी यह बात सामन आई कि कुछ कर्मियों की मदद से पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया गया है। संबंधित विभागों में चर्चा है कि डाटा ऑपरेटरों ने ही पूरे कांड को अंजाम दिया है।

दरअसल, दर्जनभर विभागों में जिस आइपी एड्रेस से विज्ञापन जारी हुए उसी आइपी एड्रेस से कुछ सफल बिडर्स ने फॉर्म भी भरे हैं।

झारखंड के प्रधान लेखाकार ने जैप आइटी के निदेशक को इसे संदर्भ में पत्र भी लिखा है और उनसे बिडर्स और विभाग की ओर से एक ही आइपी एड्रेस के इस्तेमाल को लेकर सवाल उठाए हैं।

महालेखाकार कार्यालय को विभागों से जवाब का इंतजार है। इन विभागों के सचिवों को पत्र लिखकर उनका पक्ष मांगा गया है। विभागों से पक्ष मिलते ही महालेखाकार की रिपोर्ट अंतिम रूप ले लेगी।

क्या होता है आइपी एड्रेस?

  • आइपी एड्रेस, जिसे इंटरनेट प्रोटोकाल एड्रेस भी कहते हैं, एक यूनिक नंबर होता है जो इंटरनेट से जुड़े हर डिवाइस को दिया जाता है। ठीक उसी तरह से जैसे हर घर का एक अलग पता होता है।
  • यह आइपी एड्रेस इंटरनेट पर डिवाइस की पहचान और दूसरे डिवाइस के साथ डेटा भेजने और प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • जब आप कोई वेबसाइट खोलते हैं या कोई डेटा इंटरनेट पर भेजते हैं, तो आपका आइपी एड्रेस उस वेबसाइट या सर्वर के आइपी एड्रेस तक पहुंचने में मदद करता है।

इन 11 विभागों में पकड़ी गई है गड़बड़ी

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, ग्रामीण विकास, ग्रामीण कार्य विभाग, जल संसाधन विभाग, पंचायती राज विभाग, सड़क निर्माण विभाग, गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्पाद विभाग, महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग।

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