‘मरीजों का पूरा पैसा खत्म कर रिम्स रेफर कर देते निजी अस्पताल’, झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री का गंभीर आरोप

स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कहा है कि निजी अस्पताल पैसों के लिए मरीजों को भर्ती तो कर लेते हैं, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर रिम्स को रेफर कर देते हैं।
पैसा निजी अस्पताल कमाते हैं लेकिन दाग रिम्स पर लगता है, क्योंकि इससे रिम्स में मरीजों की होनेवाली मौत की दर बढ़ जाती है।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि निजी अस्पताल मरीजों के इलाज में 10 से 15 लाख वसूल लेते हैं और जब मरीज के पास पैसा खत्म हो जाता है तो उसे रिम्स रेफर कर देते हैं।
मंत्री मंगलवार को बीएनआर चाणक्या में ””आयुष्मान भारत-मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना”” तथा ””मुख्यमंत्री अबुआ स्वास्थ्य योजना”” से संबंधित कार्यशाला में अस्पताल प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे।
इसमें शहरी क्षेत्र के 50 बेड से कम तथा ग्रामीण क्षेत्र के 30 बेड से कम क्षमता वाले अस्पतालों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।
निजी अस्पतालों की व्यवस्था में उक्त खामियों पर चर्चा करते हुए मंत्री ने कहा कि अब ऐसा नहीं चलेगा। निजी अस्पताल किसी मरीज को भर्ती करते हैं तो उनका पूरा इलाज भी करना होगा। मरीज को ठीक करने की भी जिम्मेदारी उनकी है।
अगर इलाज संभव नहीं है तो शुरू में ही कह दें कि रिम्स या किसी दूसरे अस्पताल ले जाएं। पैसा खत्म होने पर रेफर करने की व्यवस्था को वे बंद करना चाहते हैं।
उन्होंने कार्यशाला में भाग नहीं लेनेवाले अस्पतालों को चेतावनी के लहजे में कहा कि अगली बार नहीं पहुंचे तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अहमदाबाद में काम कर रहे झारखंड के कई चिकित्सक झारखंड लौटना चाहते हैं। हम अहमदाबाद में मिलनेवाले वेतन से दोगुना वेतन उन्हें देंगे।
आयुष्मान से जुड़ने के लिए शहरी क्षेत्र में 50 तथा ग्रामीण क्षेत्र में 30 बेड अनिवार्य
आयुष्मान भारत-मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना”” तथा ””मुख्यमंत्री अबुआ स्वास्थ्य योजना”” के लिए राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्र में न्यूनतम 50 बेड तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 30 बेड को अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए अस्पतालों को छह माह का समय दिया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उन्होंने सोच-समझकर यह व्यवस्था लागू की है। अस्पताल चला रहे हैं तो बेहतर ढंग से चलाएं। उन्होंने अपने निरीक्षण के क्रम में आई खामियों का जिक्र करते हुए कहा कि दो, तीन, चार बेड का अस्पताल खोलकर भी आयुष्मान का लाभ लिया जा रहा था।
पश्चिम बंगाल से आकर लोग भाड़े के मकान में ऐसे अस्पताल चला रहे थे। कार्यशाला में झारखंड आरोग्य सोसाइटी के निदेशक अबु इमरान ने इस वर्ष फरवरी माह से आयुष्मान भारत योजना में लागू नई व्यवस्थाओं को निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों को अवगत कराया।
1000 आबादी पर होना चाहिए एक डाक्टर, लेकिन 5500 पर है
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने कार्यशाला में झारखंड में बेड और चिकित्सकों की संख्या की कमी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार, एक हजार की आबादी पर कम से कम एक चिकित्सक होना चाहिए।
लेकिन झारखंड में साढ़े पांच हजार आबादी पर एक चिकित्सक उपलब्ध है। इसी तरह, झारखंड के अस्पतालों में 31 हजार बेड ही हैं, जबकि एक लाख 13 हजार बेड होना चाहिए। उन्होंने सरकारी अस्पतालों की तरह निजी अस्पतालों को भी बेड बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि इसमें राज्य सरकार भी सहयोग प्रदान करेगी।