मोहन भागवत ने ‘राजा’ को याद दिलाया उसका धर्म, मोदी की तरफ किया इशारा! पूछा- दूसरा इलाज क्या है?

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 28 निर्दोष लोगों की मौत हो गई। इस घटना से हर कोई गुस्से में है और पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है। इस बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान सामने आया है।
उन्होंने कहा है कि हमारी अहिंसा लोगों को बदलने की है लेकिन कुछ लोग कभी नहीं बदलेंगे। उन्होंने कहा, गुंडों को सबक सिखाना हमारा धर्म है।
दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अहिंसा हमारा स्वभाव है, हमारा मूल्य है। हमारी अहिंसा लोगों को बदलने की है लेकिन कुछ लोग नहीं बदलेंगे, चाहे आप कुछ भी कर लें। वे दुनिया को परेशान करते रहेंगे, तो क्या किया जाना चाहिए?
रामायण-महाभारत का दिया उहादरण
उन्होंने कहा, जब रावण का वध हुआ तो वह उसके कल्याण के लिए हुआ था। रावण के पास अच्छा इंसान बनने के लिए सब कुछ था, लेकिन उसने जो शरीर, मन और बुद्धि चुनी थी, उससे वह अच्छा नहीं बन सका। इसका एक ही उपाय है, इस शरीर, मन और बुद्धि को त्यागकर दूसरा शरीर, मन और बुद्धि स्वीकार कर लेना। ऐसे में भगवान ने उसका वध कर दिया। यह हिंसा नहीं, अहिंसा है।
उन्होंने आगे कहा कि अहिंसा हमारा धर्म है। गुंडों और अपराधियों को सबक सिखाना भी हमारा धर्म है। हम कभी अपने पड़ोसियों का कभी अपमान या नुकसान नहीं करते। लेकिन फिर भी अगर कोई निरंतर बुराई पर उतर आए तो उसके अलावा और क्या उपाय है? राजा का कर्तव्य प्रजा की रक्षा करना है, राजा को अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। मोहन भागवत ने कहा, गीता में अहिंसा का उपदेश है। अहिंसा का यह उपदेश इसलिए दिया गया था ताकि अर्जुन लड़ सके और मार सके। उसके सामने ऐसे लोग थे जिनके पास भी कोई दूसरा विकल्प नहीं था।
इससे पहले मुंबई में राष्ट्रीय आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की थी। उन्होंने कहा था कि आतंकियों ने लोगों से उनका धर्म पूछकर उनकी हत्या की। हिंदू ऐसा कभी नहीं करेंगे। मोहन भागवत ने आगे कहा कि यह लड़ाई धर्म और अधर्म के बीच है। यह दिखाने का समय आ गया है कि हमारा देश कितना शक्तिशाली है।