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पहली बार सिंध पहुंची चीनी सेना, भारत के लिए बढ़ता खतरा!

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हाल के दिनों में बढ़ते विरोध प्रदर्शन और हिंसक घटनाएं न केवल वहां के आंतरिक हालात को उजागर कर रही हैं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और भारत की सुरक्षा के लिए भी नए सवाल खड़े कर रही हैं.

बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में सरकार और सेना के खिलाफ प्रदर्शन कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब सिंध प्रांत ने वैश्विक ध्यान अपनी ओर खींचा है. यहां न केवल पाकिस्तानी सेना और सरकार के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर रहे हैं, बल्कि चीनी नागरिकों पर हमलों के बाद चीनी निजी सुरक्षा कंपनियों की तैनाती ने स्थिति को और जटिल कर दिया है. यह घटनाक्रम भारत के लिए भी चिंता का विषय बन गया है.

सिंध प्रांत जो कभी पाकिस्तान के सबसे स्थिर क्षेत्रों में गिना जाता था, अब विरोध और अशांति का केंद्र बन चुका है. स्थानीय लोग लंबे समय से अपनी अलग पहचान, संसाधनों पर अधिकार और स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं. हालिया प्रदर्शनों की मुख्य वजह सिंधु नदी के पानी के बंटवारे में भेदभाव और कथित तौर पर पंजाब प्रांत को प्राथमिकता देना रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट्स के अनुसार, इन प्रदर्शनों ने इतना उग्र रूप ले लिया कि 7000 से अधिक मालवाहक ट्रक फंस गए और प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी सेना के वाहनों पर भी हमला किया. कुछ लोग “स्वतंत्र सिंधु देश” की मांग को और तेज कर रहे हैं, जो पाकिस्तान के लिए आंतरिक एकता के लिहाज से बड़ा खतरा बन सकता है.

चीनी सुरक्षा कंपनियों की एंट्री

सिंध में चीनी नागरिकों पर बढ़ते हमलों ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है. खास तौर पर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) से जुड़े प्रोजेक्ट्स में कार्यरत चीनी इंजीनियरों और कर्मचारियों को निशाना बनाया जा रहा है. यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन हमलों के जवाब में चीन ने पहली बार सिंध में अपनी निजी सुरक्षा कंपनियों को तैनात किया है. इन कंपनियों को सीपीईसी परियोजनाओं और चीनी नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है. लगभग 6500 चीनी नागरिक सिंध के थार कोल ब्लॉक में दो पावर प्लांट्स पर काम कर रहे हैं, और उनकी सुरक्षा के लिए चीनी सुरक्षा कर्मी स्थानीय लोगों से दूरी बनाए रखते हुए पहली रक्षा पंक्ति का काम कर रहे हैं.

यह तैनाती स्थानीय लोगों में असंतोष को और बढ़ा रही है. कई सिंधी इसे अपनी संप्रभुता पर हमला मानते हैं और इसे “चीनी उपनिवेशवाद” का प्रतीक बताते हैं. इससे पहले बलूचिस्तान में भी सीपीईसी परियोजनाओं के खिलाफ विरोध और हमले देखे गए थे, और अब सिंध में भी यही स्थिति बनती दिख रही है.

भारत के लिए सुरक्षा चिंताएं

सिंध में चीनी सुरक्षा कंपनियों की मौजूदगी भारत के लिए कई मायनों में चिंताजनक है. यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि यह कदम चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग का संकेत है. 2024 में 300 से अधिक चीनी सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना के साथ “वॉरियर-VIII” संयुक्त सैन्य अभ्यास में हिस्सा लिया, जिसमें आतंकवाद विरोधी रणनीति, खुफिया जानकारी साझा करना और सामरिक समन्वय पर जोर दिया गया. इसके अलावा, चीन ने पाकिस्तान को नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर मजबूत बंकर, ड्रोन, यूएवी, एन्क्रिप्टेड संचार प्रणाली और उन्नत रडार तकनीक प्रदान की है, जो भारत के खिलाफ पाकिस्तान की निगरानी और हमले की क्षमता को बढ़ाता है.

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